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जो लोग खुद की आत्मा को मार चुके है, | मैं इस चुनाव की गहमा गहमी के बीच सभी वोटर से निम्न प्रश्न पूछना चाहता हूं

Indian voter question

जो लोग खुद की आत्मा को मार चुके है उनसे अपने भले की अपेक्षा वोटर ना ही करें तो अच्छा होगा। ईमानदार लोगों के चयन का संकल्प आज ही करें।

एक समय था जब व्यक्ति झूठ बोलते हुए घबराते थे, उनकी दिल की धड़कन बढ़ जाती थी, चेहरे की हवाइयां उड़ जाती थी लेकिन आज तो जो झूठ बोलते है उनके चेहरे की चमक बढ़ जाती है, और हौंसला बढ़ जाता हैं। लोग ईमानदार लोगों के साथ ऐसा व्यवहार करते है जैसे उसी ने दुनिया का बुरा किया हैं, हम बेइमानों के साथ ऐसे खड़े होते है जैसे हम कोई राजा हरिश्चंद्र के साथ खड़े हो गए है। लोग, एक शराब की बोतल के लिए अपनी वोट बेच देते हैं, एक पांच सौ रुपए के नोट के लिए अपना स्वाभिमान बेच देते हैं , जिन्हे अपराधी ही देश का भविष्य नजर आने लगते हैं, वास्तव में हमे अपने आदर्शों को बदल दिया हैं। हम जीवन में कुछ करना नही चाहते है जीवन में हर व्यक्ति बुराई की तरफ दौड़ लगा रहा हैं, उसे कोई भी सही दिशा देने वाला ही नही हैं। कोई इतना हिम्मती नही है जो सच्ची बात को सच्चा कह सके और गलत को गलत कहने की हिम्मत रखता हो हैं। झुंठ के सहारे कब तक जीवन को चलाओगे, झूठ के सहारे कब तक तसल्ली दोगे। भारतीय लोक तंत्र में एक समय था जब छोटी गलती होने पर भी देश मंत्री अपने पद से त्यागपत्र दे देते थे, अब तो त्यागपत्र ना देना ही भारतीय राजनीति का गौरव हैं। युवा दोस्तों अगर अपने मातापिता भी गलत बात सिखाए तो मत सीखों, अगर अपना पिता भी भयभीत होना सिखाएं तो मत सीखों, अगर अपने भाई बहन ही चोरी करना सिखाएं तो मत सीखना, अगर अपने भी कहे कि अंधविश्वासी बनो तो कभी मत बनना, अगर कोई आपको किसी बात के कारण आपका साइंटिफिक टेंप्रामेंट बदलने की कौशिश करे ,तो बिल्कुल नकार देना, क्योंकि राष्ट्र को इन सबकी जरूरत नही है। राष्ट्र को तो मेहनती नागरिकों की जरूरत है, वैज्ञानिक दृष्टिकोण के नागरीको की जरूरत है ,राष्ट्र को तो ईमानदार व्यक्तियों की आवश्यकता हैं, राष्ट्र को सच बोलने वाले की जरूरत है, राष्ट्र को सच्चे नागरिकों की जरूरत है, राष्ट्र को निडर नागरिकों की जरूरत है। इस चुनाव में ऐसे ऐसे प्रत्याशी हमारी वोट मांगने के लिए आ रहे हैं जिनका अपना कोई स्वाभिमान नही है, जिनका अपना कोई व्यक्तित्व नही है, उनके पास ना ईमानदारी है, ना सदाचार है, ना शुचिता है, ना सच्चाई है तो हम कैसे विचार करे, ऐसे लोगों पर जिन्होंने अपनी आत्मा तक का कत्ल कर दिया है, उनके भीतर एक मुर्दा आत्मा है यानी एक मरा हुआ सेल्फ है। ये कैसी विडंबना है कि इस चुनाव में हमारे सामने आने वाले अधिकतर कैंडिडेट्स की संपति दो से तीन गुना से भी अधिक हो गई हैं परंतु आम जनता बेचारी वहीं ही रह जाती हैं।

मैं इस चुनाव की गहमा गहमी के बीच सभी वोटर से निम्न प्रश्न पूछना चाहता हूं , आप मुझे जबाव देने के लिए हिम्मत जरूर करेंगे, जैसे ;
पहला प्रश्न ; क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को वोट देंगे जो पहले से अपनी आत्मा बेच चुके है, जो चुनाव तो किसी उद्देश्य के लिए लड़े और पहुंच जाते हैं कहीं ओर ?
दूसरा प्रश्न ; क्या आप ऐसे प्रत्याशी के कहने से वोट देंगे, जो खुद अपने को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए अपने वोटर के स्वाभिमान का भी सौदा कर लेते हैं ?
तीसरा प्रश्न ; क्या आप ऐसे प्रत्याशी को वोट देंगे जो जीतने के बाद कभी आपके पास नही आते है?
चौथा प्रश्न; क्या आप ऐसे व्यक्ति को वोट देंगे जो अपने व्यवसाय के आगे संसद की कार्यवाही को भी छोड़ देते हैं, और जिस कार्य के लिए चुने जाते है उसी को तिलांजलि दे देते हैं ?
पांचवा प्रश्न ; क्या आप ऐसे व्यक्ति के कहने पर वोट देंगे जिसके अहंकार के आगे हमारे बुजुर्गो की कोई इज्जत नही समझी जाती हैं ?
छटा प्रश्न; क्या आप ऐसे व्यक्ति को वोट देंगे , जो केवल आपसे वोट लेने तो लेने आते हैं, परंतु उसके बाद आपके घर में सुख दुख में भागीदार नहीं बनते हैं, वो बिना बुलाए आपकी बहन बेटी की शादी तक में नही आते हैं ?
संतवा प्रश्न ; क्या ऐसे लोगो को वोट देंगे, जो हमारी बहन बेटियों की शराब के ठेके ना खोलने की अपील को भी ऐसे ठुकरा देते है जैसे हमारी बहन बेटियों की कोई इज्जत ही नही है ;
आठवां प्रश्न ; क्या आप ऐसे व्यक्ति को वोट देंगे , जो किसी को बोलने ही नही देते, उनकी बात ही सबसे बड़ी हो, उनके पीछे पीछे ही घूमते रही और अपने सम्मान को त्याग कर ऐसे लोगों के गले में मालाएं डालो जिसकी आत्मा भी जिंदा नहीं हैं ;
नौवा प्रश्न ; क्या आप ऐसे लोगों को वोट देंगे जो गरीब को तो ऐसे समझते है जैसे उनकी वोट तो बिकाऊ है उन्हे तो हम कभी भी खरीद लेंगे ?
दसवां प्रश्न ; क्या आप ऐसे लोगों को वोट देना पसंद करेंगे, जो भारत में अपने वोटर्स के साथ ऐसा व्यवहार करते है जिससे उनके सम्मान को ठेस पहुंचती हैं।


युवा दोस्तों, एक संकल्प तो वर्तमान में रह कर, लेने की हिम्मत करें। अगर सभी युवा देश के बारे में विचार कर वोटिंग करें, राष्ट्र में हर युवा को राष्ट्र के निर्माण में लगाने के लिए वोट करें, देश के हर युवा के स्वाभिमान को उपर उठाने के लिए वोट करें, देश का हर युवा ईमानदार है, उनकी ईमानदारी को जो इज्जत देंगे, उसे वोट करो, देश के हर नागरिक का अपना स्वाभिमान है, हर नागरिक का अपना योगदान होता है इसलिए हर किसान, मजदूर, युवा, महिला, छात्र छात्राओं की बेहतर पढ़ाई, बेटी की सुरक्षा, हर मां जो घर में कार्य करती है, उनके लिए वोट करें। किसी के बहकावे में ना आवे और ऐसा संकल्प करें कि जिनकी आत्म मर चुकी है या जिसने अपनी आत्मा की हत्या कर दी है, ऐसे लोगों से तो अपना पीछा ही छूडा लेना चाहिए, उन से तो आप क्या ही अपेक्षा करेंगे, इसलिए सभी युवा अपनी वोट सोच समझकर करें, राष्ट्र निर्माण में करें।
जय हिंद, वंदे मातरम
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर

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