ईश्वर सबकी सुनता हैं,हर पल हम सभी को देख रहा है!!
शहर के बीचोबीच एक हाइ सोसाइटी की बिल्डिंग थीं !
उसमें सबसे ऊपर वाले फ्लोर पर अविनाश रहता था । वो रोज खाना खाने के बाद रात को 9 से 10 बजे तक ऊपर छत पर घूमता था । और उस बिल्डिंग के पास ही कुछ झुग्गी झोपड़ी बनी हुई थी ।
पिछले एक-डेढ़ महीने से वो रोज उस बच्चे को देख रहा था, जो रोज एक गुब्बारे को छोड़ देता था और उसे तब तक देखता रहता जब तक वह आँखों से ओझल न हो जाए ।
एक दिन अविनाश दोस्त से बात करने में थोड़ा लेट हो गया । और जब ऊपर घूमने गया तो उसे वो बच्चा नहीं दिखा । अविनाश ने ऊपर देखा की कही गुब्बारा उड़ता हुआ दिख जाये । तो उसे वो गुब्बारा पानी की टंकी में अटका हुआ दिखा । अविनाश समझ गया की यह उस बच्चे का ही है । और उसने सोचा की उस गुब्बारे को निकालकर उड़ा दूँ । और वह टंकी पर चढ़ा उसने देखा गुब्बारे पर कुछ लिखा हुआ था। अविनाश उसे पढ़कर बैचेन हो गया । उस पर लिखा था कि …….
“हे ऊपर वाले ! मेरी माँ की तबियत बहुत खराब है और उसके इलाज के लिए किसी को भेज दें ! मेरे पास इतने सारे पैसे नहीं है ।”
यह पढ़कर अविनाश को रात भर नींद नहीं आयी । वह सबेरे उठकर उस लड़के से मिलने चला गया । उसने जाकर देखा तो सच में उसकी मां की तबियत खराब थीं ।
अविनाश ने उस लड़के से पुछा की तुम रोज गुब्बारे पर लिखकर क्यों भेजते हो और ये तुम्हें किसने बताया की ऐसा करने से ईश्वर तुम्हारी मदद करेगा ।
उस लड़के ने कहा —-ये सब मुझे भिखारी दादा ने कहा । एक दिन रात को मै आ रहा था तो उन्होंने कहा कि मेरी तबियत खराब है । और मैं भीख मांगने नही जा सकता और मैं दो दिन से भूखा हूँ । क्या तुम मुझे खाना खिलाओगे ? तो मैंने उन्हें खाना लाकर दे दिया तो उन्होंने कहा कि– बेटा तेरी मदद ऊपरवाला करेगा । मैने पूछा वो सच में मेरी मदद करेगा क्या ? दादा ने कहा —जैसे मेरे लिए उसने तुझे भेजा है न वैसे ही वो तेरे लिए भी किसी को भेज देगा ।
अविनाश ने पूछा—- तो गुब्बारे का किसने बोला और तुम रात को ही क्यों छोड़ते हो दिन में क्यों नहीं ।
वो लड़का बोला — दादा ने कहा था ना कि ऊपरवाला मदद करेगा तो मै रोज सोचता था की उस तक बात कैसे पहुंचाउ । एक दिन मैने गुब्बारे को बहुत ऊंचा जाते हुए देखा तो मुझे यही रास्ता समझ में आया ।
और मै होटल में काम करता हूँ ना तो मुझे रोज रात को पैसे मिलते हैं इसलिए मै रात में गुब्बारा छोड़ता हूँ !
उस बच्चे की बातें सुनकर अविनाश के आँखों में आँसू आ गये और उसने उस बच्चे को गले लगाते हुए कहा —की बेटा वो दादा सही कह रहे थे वो ऊपर वाले ने तेरी मदद के लिये मुझे भेज दिया ।
और अविनाश ने उसकी मां का इलाज कराया और उसका माँ के प्रति प्यार देखकर उसे बहुत सारी मदद करी और स्कूल में भी भर्ती करा दिया ।।
इस कहानी से हमें कुछ बातें समझ में आयी की ईश्वर उस बच्चे पर खुश क्यों हुआ । उसका माँ के लिए प्यार, गरीब होते हुए भी उसके मन में दूसरें के लिए दया ,उसका भोलापन और सबसे बड़ी बात उसका विश्वास जो उसने एक-डेढ़ महीने तक गुब्बारे में लिखकर ईश्वर के लिए भेजा ।
यदि ये बातें हम लोगों मे भी पैदा हो जाए तो इसमें कोई शक नहीं कि वो प्यारा ईश्वर हमारी तकलीफों में भी किसी ना किसी को भेज ही देगा ।
विश्वास करो वो ईश्वर हमें हर पल देख रहा हैं और हमें अच्छे से अच्छा जीवन देना चाहता हैं इसलिये हमे प्रभु पर भरोसा रखना चाहिये !!
सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है। ओम शांति।