अब समय आ गया हैं कि देश के नेताओं को नकारात्मक राजनीति छोड़कर, पॉजिटिव राजनीति शुरू करें अन्यथा एक्शन का रिएक्शन आपके खुद के जीवन तथा भारत के वायुमंडल पर जरूर होगा।
विज्ञान कहता हैं कि ” एवरी एक्शन हज एन इक्वल एंड अपोजिट रिएक्शन ” अर्थात किसी भी की गई क्रिया के लिए, उसी के बराबर और विरुद्ध प्रतिक्रिया होती है, उसे कोई रोक नहीं सकता हैं। ना तो इसे रोका जा सकता है और ना ही इसे कोई बदल सकता हैं। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि किसी को भी उनके द्वारा किए गए कर्मों के फल को भुक्तना पड़ता हैं। मेरा कहने का अर्थ ये हैं कि अगर हम देश को विकसित बनाना चाहते है, पॉजिटिव वाइब्रेशन देश में लाना चाहते है तो हर नेता को सकारात्मक ऊर्जा के साथ काम करना होगा। मैं यहां यही तो कहना चाह रहा हूं कि देश का हर नेता के अपने भाषण में ही नही बल्कि उनके हृदय में भी पॉजिटिव ऊर्जा होनी चाहिए। हम जितनी भी नेगेटिविटी ब्रह्मांड में फैलाएंगे, क्या वो तरंग हमारे खुद के लाइफ पर असर नहीं डालेगी ? जब हम विज्ञान के चमत्कार की वजह से आज भी किसी के द्वारा भूतकल में बोले गए शब्दो को पकड़ने में भी सफल हो रहे है तो, फिर जो हमारे पॉलिटिकल नेता इस ब्रह्माण्ड में झूठ और नकारात्मकता परोस रहे है, इनसे वायुमंडल नकारात्मक नही हो रहा है और इनकी आजादी इन्हे किसने दी हैं, जिसकी वजह से देश के सभी छोटे छोटे बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ता जा रहा हैं क्योंकि जब कोई भी व्यक्ति अपनी जुबान से ऐसे शब्द निकलता है जो केवल नकारात्मक वाइब्रेशन लेकर आती हैं, वो वाइब्रेशन ना केवल ऐसे सभी लोगों नकारात्मक बनाती है जो उसे बोलते हैं बल्कि उन सभी बच्चों को भी नकारात्मक दिशा में लेकर जाती है जो उन्हे सुनते है, उन्हे पढ़ते है, तथा देखते हैं। मैं ऐसे सभी राजनीतिक लोगों से कहना चाहता हूं क्या आपके लिए सत्ता इतनी महत्वपूर्ण हो गई है कि सत्ता की लड़ाई में आप पूरे वातावरण को ही नही बल्कि पूरे ब्रह्मांड को नकारत्मक भाषा से भर देंगे और कोई कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है। कोई इसको रोकने के लिए तैयार नहीं है। लोग झूठ बोल रहे है, वोटर को रिझाने के लिए कुछ भी बोल रहे है जो हमारी भारतीय संस्कृति को लहूलुहान कर रहे हैं, आप कुछ भी बोल रहे हो, जो हमारे शास्त्र भी अनुमत नही करते हैं, हमे अपनी बहन बेटियों तथा माताओं की भी लिहाज नही हैं, हम अपने देश की गरिमा को कितनी ठेस पहुंचा रहे है केवल एक ऐसी सत्ता पाने के लिए जिसके लायक आप हो ही नहीं। मैं भारतीय राजनीति में आज किसी व्यक्ति को लीडर की श्रेणी में नही रख सकता, क्योंकि उनमें नेतृत्व देने का कोई गुण नही है। अरे जिन्हे ये नही पता है कि हम अपने समाज को कहां ले जा रहे हैं, अपने नवयुवाओं को कौन सी दिशा की तरफ लेकर जा रहे हैं, हम अपने ही वातावरण में इतना जहर घोल रहे हैं, कि इस जहर से हमारा एक एक नागरिक पीड़ित हैं। इस देश में राजनीतिक दल अपने अपने डिजिटल प्लेटफार्म से इतनी गंदगी परोस रहे है जिन्हे पढ़ कर भी डर लगता हैं, हम कौन सी संस्कृति को पाल रहे है , हम अपने बच्चों को कौन सा समाज देना चाहते हैं। हमे अगर अपने देश से प्रेम है तो फिर इन लोगों को सोचना चाहिए कि आखिरकार अगर हम अपने राजनीतिक स्तर को इतना गिरा कर, आगे बढ़ना चाहते है तो फिर समझ लो कि हमारे बच्चों का भविष्य अच्छा नही हैं। एक तरफ ऐसा नेता है जिनके बच्चे विदेशो में पढ़ रहे है और यहां ये राजनेता दूसरों के बच्चों को कैसे रसातल में ले जाने का कार्य कर रहे हैं। एक ही पार्टी में लोग, अपने ही लोगों को काटने की कौशिश कर रहे हैं। अगर आजकल राजनीतिक गलियारों में यह सोच विकसित हो गई है कि वोटर मूर्ख है तो फिर ये चालकी बहुत खतरनाक हैं। मैं ये बहुत ही जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि ये सभी राजनीतिक दल मतदाताओं को बेवकूफ ही समझते है, अगर ऐसा नही होता तो फिर ये ऐसा नहीं करते , जैसा कर रहे है, जैसे ;
- कितने ही अपराधियों को टिकट देना , ये शो करता है कि राजनीतिक दलों को वोटर तथा देश की कोई परवाह नही हैं।
- सभी राजनीतिक दलों ने कितने ही ऐसे लोगों को टिकट दिए है जिन्होंने महिलाओं के साथ बदतमीजी की हैं।
- कितने की ऐसे प्रत्याशी है जो हर चुनाव में पार्टियां बदलते है उन्हे भी टिकट देने की हिम्मत दिखाते है तो फिर वोटर को तो मूर्ख ही समझा जाता हैं।
- कितने ही ऐसे प्रत्याशी होते है जो अपने वोटर की परवाह किए बिना ही पार्टी बदल कर चले जाते है फिर भी उन महानुभावों को टिकट दी जाती है , तो इसका अर्थ क्या है ?
- किसी भी सज्जन तथा ईमानदार व्यक्ति को टिकट नहीं देना चाहते है जिसे वोटर पसंद करते हैं तो फिर इसका अर्थ यह हुआ ना , कि वोटर की तो कोई वैल्यू है ही नही।
- रोज रोज गलत कार्य करने वालों को भी टिकट देना भी तो यही दर्शाता है कि उन्हे वोटर की कोई परवाह नही हैं।
- ऐसे ऐसे लोगों को टिकट देना जिन्हे सामाजिक मर्यादाओं का ध्यान नही है , ये भी तो यही दर्शाता है कि राजनीतिक पार्टियों को समाज की कोई परवाह नही हैं।
प्रिय देशवासियों, मैं कहना चाहता हूं कि इन राजनेताओं को इतना भी एहसास नही होता है कि जो तुम बोल रहे है वो हमारे भारत के स्वाभिमान को कितना ठेस पहुंचा रहा हैं। और हमारे समाज में एक ऐसा वातावरण बनता जा रहा है कि इन सोशल मीडिया के माध्याम से देश में जो फेक जानकारियां लोगो तक तथा छोटे छोटे बच्चों तक पहुंचाई जा रही है वो बच्चों के निर्मल मन पर कितना गलत प्रभाव डाल रहे हैं, इनकी अनुमति इन्हे किसने दी हैं ? ये किसी अपराध से कम नही हैं। मुझे ऐसा लगने लगा है कि राजनीति कितनी गंदगी से भर गई है, लेकिन ये किसकी वजह से हुई है ये केवल वोटर की गलती हैं। मुझे आश्चर्य होता है कि गरीब जनता के जनप्रतिनिधि, अमीर ,भू माफिया, अपराधी, भ्रष्टाचारी लोग कैसे बन जाते है , उसका कारण केवल हम वोटर है, जो कभी अपने बच्चों के भविष्य की ना सोच कर, केवल अपनी इगो को सेटिस्फाई करने में लगे रहते है, उनकी चापलूसी करने में लगे हुए हैं। हम तो इतने भ्रमित हो गए है कि हम अपने परिवारों में भी लड़ाई झगड़ा करने लगे हैं, अपने समाज को उन लोगों के लिए तोड़ दिया, जो कभी तुम्हारी सुध नहीं लेते है और हम उनको जिताने के लिए अपने बच्चों के भविष्य पर ताला डालने का कार्य कर रहे हैं। अरे लोग आते है, कुछ भी बोलते है और वोट लेकर चले जाते हैं। कहने को हमारे जनप्रतिनिधि बन गए हैं और वोटर उनके पीछे पीछे घूम रहे हैं। किसी को कोई फर्क नही पड़ता । सभी राजनेताओं ने पेट्रोल पंप लगा रखे है, बड़े बड़े बिजनेस खड़े किए हैं, सैंकड़ों सैंकड़ों एकड़ जमीन हथिया रखी है, बड़े बड़े फार्म हाउस है, बड़ी बड़ी गाडियां में घूमते हैं, सरकार से क्षेत्र भ्रमण का पैसा भी लेते है और लोगो के बीच जाने से भी कतराते है, अपने बिजनेस को संभालने के लिए ही, क्या सरकार इनको सैलरी देती हैं ? मैं यहां सभी राजनेताओं से निवेदन करना चाहता हूं कि देश के विकास के लिए पॉजिटिव ऊर्जा की जरूरत हैं, और ये कार्य बिना किसी की बुराई किए , बिना किसी को गाली दिए भी हो सकती हैं। मैं यहां बहुत ही विनम्रता से कहना चाहता हूं कि भारतीय जनमानस को नकारात्मकता से बचाने के लिए , भारत के बच्चों के मनो को नकारात्मकता से बचाने के लिए सभी राजनेताओं को अपनी सत्ता की भूख को छोड़ कर अपनी सकारात्मक ऊर्जा के सहारे अपना प्रचार करना चाहिए अन्यथा वोटर तय करे कि उन्हे कैसा प्रचार चाहिए। देश के वोटर , राजनेताओं के कैसे प्रचार चाहते हैं , एक दूसरे को गाली देने वाला या फिर नागरिकों की भलाई वाला प्रचार चाहिए, ये भी अब समय आ गया है कि वोटर ही तय करेंगे क्योंकि हमारे देश के समाज तो किसी भाषाई नकारात्मकता को रोकने में सक्षम ही नही हैं, और ना ही कोई अधिकार इसका संज्ञान लेता हैं क्योंकि उनके बच्चे भी तो विदेशो में ही पढ़ते होगे, उनके बच्चों को गालियों वाले भाषण सुनने को नही मिलते हैं। हमारे भारतीय लोकतंत्र में चुनावों में केवल एक दूसरे के खिलाफ गलियां देते हुए ही प्रत्याशी नजर आते हैं। कितनी विडंबना है कि देश को आजाद हुए 77 वर्ष होने के बाद भी हमारे चुनाव काम के मुद्दों पर नही होते। आज भी नेताओं के भाषण केवल मनोरंजन से ज्यादा मायने नहीं रखते हैं। और ये कोई इतिहास की परीक्षा नही है कि इसमें देश की आजादी से पहले की ही बात की जाती हैं। हम अपने नेताओं चुनावी भाषणों में कभी सुनते है कि देश की एकता के लिए कार्य करना है, देश में अनुसंधान केंद्र कैसे बढे, देश में एक से ज्यादा भारतीय विज्ञान संस्थान बने, भारत में ज्यादा से ज्यादा सरकारी शिक्षण संस्थान खुले, ज्यादा से ज्यादा सरकारी अस्पताल बनें, भारत में ज्यादा से ज्यादा किसान बने, उद्योग बने, देश में सरकारी वैटेरिनरी यूनिवर्सिटी बनें, बच्चों के लिए संस्कार शालाएं बने, बच्चों के लिए ज्यादा से ज्यादा खेल के मैदान बने, देश में अधिक से अधिक भाषा ज्ञान केंद्र बने, ऐसे भाषण हम नही सुनते हैं, हम तो केवल गाली गलोच ही सुनते हैं। सभी एक दूसरे की बुराई करने की बजाय, खुद देश के लिए क्या करना है वो लोगो को बताएं तभी तो देश तरक्की करेगा। प्रिय नागरिकों अब समय आ गया है कि हम वोट देते वक्त देश को ध्यान में रखे, अपने समाज की एकता को ध्यान में रखते हुए, शिक्षा को ध्यान में रखे, विकास को ध्यान में रखे, खेती को ध्यान में रखे, अनुसंधान तथा शोध को ध्यान में रखकर ही मतदान करें। ये तो वो मुद्दे है जो हमे तरक्की की ओर लेकर जाएंगे। आओ मिलकर सकारात्मकता के लिए मतदान करें, और जरूर करें। देश की एक एक वोट कीमती हैं इसकी कीमत जाने।
जय हिंद, वंदे मातरम
लेखक
नरेंद्र यादव
नेशनल वाटर अवॉर्डी
यूथ डेवलपमेंट मेंटर