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भारतीय संसद के उच्च सदन राज्यसभा में सभी राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेश का प्रतिनिधित्व होना चाहिए,तभी सब को अवसर मिलेगा।

beauty of indian democracy

भारतीय लोकतंत्र की एक खूबसूरती है कि हम सभी मिलकर लोकसभा के लिए अपने प्रतिनिधि चुनते हैं, और हमारे चुने हुए जनप्रतिनिधि ही संसद के लोअर हाउस में हमारा प्रतिनिधित्व करते है, परंतु शायद आप सभी को पता है या नही, जो कि हमारी संसदीय प्रणाली में एक उच्च सदन भी होता है जिसे हम राज्यसभा बोलते हैं। इसका चुनाव प्रत्यक्ष रूप से नही होता है , क्योंकि ये राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है तो इसका चुनाव भी हमारे द्वारा चुने हुए विधायक अप्रत्यक्ष रूप से करते हैं। लेकिन इस प्रणाली में दो सबसे बड़ी खामियां है, वो मैं आपके सामने रखना चाहता हूं ,जैसे ;

  1. इस प्रणाली में सभी राज्यों वा केंद्र शासित प्रदेशों को राज्यसभा के सदस्य नही मिल पाते हैं।
  2. इसमें राज्य सभा के चुनाव हर दो वर्ष में चुनाव होने के कारण, कई बार कम विधायक की संख्या वाले दल, अपना राज्यसभा सदस्य चुन ही नही पाते हैं, जो सरासर गलत नियम हैं, जिसे बदलने की जरूरत है।
    प्रिय नागरिकों, आपको जान कर आश्चर्य होगा कि हमारे कई केंद्र शासित प्रदेश जहां पर विधानसभाएं नही हैं,उनके लिए राज्यसभा सदस्य चुनने का कोई प्रावधान ही नहीं है , जैसे चंडीगढ़, दादर नगर हवेली, लक्षद्वीप समूह, दमन में राज्य सभा में एक भी सदस्य को नही भेजा जाता है। क्या ऐसा होना चाहिए कि उस क्षेत्र को राज्य सभा चुनने का भी अधिकार ना हो । अब आप कह सकते है कि जब उन प्रदेश में विधान सभा ही नही है तो राज्यसभा सदस्य का तो कोई मतलब ही नहीं बनता लेकिन मेरा मानना है कि जब आप उस केंद्र शासित प्रदेश से लोक सभा के लिए प्रतिनिधि चुनते है तो फिर राज्य सभा का प्रतिनिधि क्यों नही मिलेगा उस प्रदेश को। ऐसा प्रावधान करने की आवश्यकता है कि हर राज्य तथा हर केंद्र शासित प्रदेश को राज्यसभा में प्रतिनिधित्व मिलें। इसके लिए एक संविधान सशोधन होना चाहिए कि अगर उस केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा नही है तो उसमे नगरनिगम के सदस्यों को राज्यसभा सदस्य चुनने का अधिकार दिया जाना चाहिए, जिससे सभी राज्यों अथवा केंद्र शासित प्रदेशों को भी राज्यसभा में अपना कम से कम एक सदस्य तो भेजने का अधिकार मिलें। मैं यहां एक बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्य रख रहा हूं , उन पर शायद बहुत से नागरिकों का ध्यान ही नही जाता हैं, कि हमारा राज्यसभा प्रतिनिधित्व, विधानसभा के सदस्यों की संख्या के अनुसार नही होता है, क्योंकि राज्यसभा सदस्यों के चुनावों के हर दो वर्ष में होने के कारण सभी दलों को उनकी विधानसभा में वास्तविक संख्या के अनुसार राज्यसभा सदस्य नही मिल पाते हैं, इसके कारण मुख्य रूप से तीन है, जैसे ;
  3. हर दो वर्ष में होने वाले चुनावों में जिसके विधान सभा सदस्य ज्यादा होंगे, उन्ही के दल से राज्यसभा सदस्य चुना जायेगा।
  4. क्रॉस मत के कारण भी विधानसभा सदस्यों के अनुसार राज्यसभा के सदस्यों की संख्या में अंतर आ जाता हैं।
  5. कुछ ऐसे लूप होल्स है जिसके माध्यम से हमारे माननीय विधानसभा सदस्य अपने मत को जबरदस्ती कैंसिल करा देते हैं।
    हमारी संसदीय प्रणाली में बहुत सी कॉम्प्लिकेशन है जिसकी वजह से ईमानदारी को इग्नोर करके बेईमानी की जा सकती है, और विधानसभा के माननीय सदस्यों के पास ऐसे बहुत से अवसर होते हैं कि वो अपने मत को अपनी पार्टी से अलग भी दे सकता है। मैं कई बार विचार करता हूं कि कितना आसान है राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव करना, फिर भी इसमें जानबूझ कर ऐसे लूप होल्स छोड़े गए हैं जो आम से आम इंसान को भी समझ में आता है और जिन्हे बहुत आसानी से दूर किया जा सकता है परंतु हम ऐसे ही पुराने ढर्रे पर चलकर नागरिकों को धोखा दे रहे है,और गजब की बात ये है कि कोई भी पार्टी इसे सुधारने के लिए पहल नहीं करना चाहती है। जिन्हे बहुत ही आसानी से दूर किया जा सकता है। मैं यहां कुछ सुझाव दे रहा हूं, ताकि इस कमियों को दूर किया जा सकें।जैसे ;
  6. राज्यसभा सदस्य का चुनाव सीधे सीधे विधानसभा सदस्यों की संख्या पर आधारित होना चाहिए , जिसके जितने सदस्य, उसी अनुसार उस दल को राज्यसभा सीट मिले, चाहे वो चुनाव आज हो या फिर विधानसभा अवधि के दौरान कभी भी हो। उसे एक बार ही तय कर देना चाहिए कि फलां पार्टी के इतने सदस्य और फला पार्टी के इतने सदस्य चुने जाएंगे। पार्टी को केवल अपने नाम देने होंगे।
  7. इसके लिए कोई चुनाव की जरूरत नही होगी क्योंकि संख्या पहले से ही विधानसभा सदस्यों के अनुसार तय मानी जाएगी। इससे क्रॉस मत का झंझट ही खत्म हो जायेगा।
  8. अगर जब मत ही डालने का अवसर नही मिलेगा तो कोई अलग रंग के पेन का उपयोग करके भी कोई गलती नही होगी।
  9. सबसे महत्वपूर्ण प्वाइंट ये है कि कोई भी नेता अपनी पार्टी को धोखा नहीं दे पाएगा, जिससे पैसे का लेनदेन भी खत्म किया जा सकेगा।
    हम सब को मिलकर नागरिक होने के नाते भारतीय लोकतंत्र तथा संसदीय प्रणाली को सशक्त बनाने के लिए अब कुछ कदम उठाने चाहिए, जिसमें छह बाते मुख्य रूप से हमारी जिम्मेदारी है केवल वोट डाल कर जाना ही हमारा कार्य नही है बल्कि अन्य विषय जो राजनीतिक दल ठीक ठीक नही करना चाहते है और सरकारों के नियंत्रण में भी नही है उसे वोटर को ही देखना होगा, जैसे।
  10. हर उस लूप होल को बंद करना होगा , जिससे के माध्यम से भ्रष्टाचार होने की संभावना होती हैं।
  11. हर उस समस्या का समाधान करना होगा , जिस पर सरकारों का भी ध्यान नहीं जाता है जैसे राज्यसभा सदस्यता हर राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश को मिले।
  12. हर उस पक्षपात का निराकरण करना होगा जिसमें हर राज्य को भारत की सरकार के मंत्रिमंडल में जगह मिल सकें।
  13. हर उस समस्या का समाधान करना भी वोटर का ही दायित्व है जिसे राजनीतिक दल ठीक नही करना चाहते हैं।
  14. ब्यूरोक्रेसी में कुछ अधिकारियों के कारण वोटर्स के साथ धोखा किया जाता है, उनके लिए भी नियमों में बदलाव वोटर्स को ही कराना होगा।
  15. नामित राज्यसभा सांसद की कैटेगरी में वो ही सांसद नामित किए जाए ,जो संसद की कार्यवाही में सौ प्रतिशत भागीदारी करते हो।
    आओ हम सब मिलकर वोटर होने के नाते तथा भारतीय लोकतंत्र का गोल्डन स्तंभ होने के नाते भी हमे इन सभी कारणो का निवारण करना होगा , जिसके कारण हमारे द्वारा चुने हुए जनप्रतिनिधियों की कुछ पवित्र जिम्मेदारी तय की जा सकें। और राज्यसभा के चुनाव सच्चाई के साथ तथा ईमानदारी के साथ कराए जा सकें। तथा सभी राज्यों वा केंद्र शासित प्रदेशों को इसमें प्रतिनिधित्व मिल सकें।
    जय हिंद , वंदे मातरम
    लेखक
    नरेंद्र यादव
    नेशनल वाटर अवॉर्डी
    यूथ डेवलपमेंट मेंटर
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