Information News

भारत में एक ऐसी रोजगार की विंडो बनें , जिसमे जब भी कोई व्यक्ति या युवा रोजगार चाहे, तो उन्हे तुरंत काम मिल जाए ।

Indian employment window

विषय बहुत गंभीर हैं, बहुत रोचक है, बहुत मार्मिक भी है और जीवन की सभी तकलीफों का अंत करने वाला भी हैं, परंतु है बहुत ही जरूरी। क्या ऐसा हो सकता है कि जब भी कोई व्यक्ति रोजगार लेना चाहे या कुछ दिनों के लिए कार्य करना चाहे , या वर्ष में 365 दिन काम करना चाहे तो सभी को उनकी योग्यता , हुनर तथा कला के अनुसार रोजगार मिल जाए। अगर ऐसा हुआ तो आप अंदाजा लगा सकते है कि देश की जी डी पी परकैपिटा इनकम कितनी हो जायेगी, राष्ट्र कितनी जल्दी विकसित हो जायेगा, ये एक ऐसा प्रश्न हैं जिसपर सभी का ध्यान होगा तथा होना भी चाहिए। क्या ये आसन कार्य है या मुश्किल अथवा थोड़ा कठिन तथा थोड़ा आसान। कुछ लोग कहेंगे क्या बेतुका सवाल है ये ? या क्या बेतुकी डिमांड हैं ये, और कुछ लोग कहेंगे ये तो किसी भी सूरत में पूरी नहीं हो सकती हैं। इसमें कुछ उत्साही लोग ऐसे भी होंगे , जो कहेंगे कि कोई भी कार्य मुश्किल नहीं है, अगर उस पर कार्य किया जाए तो। हां भाइयों और बहनों मैं भी यही राय रखता हूं कि अगर कार्य किया जाए तो हर व्यक्ति को रोजगार दिया जा सकता हैं। भारत की आबादी लगभग 145 करोड़ हैं तथा हर व्यक्ति एक नागरिक भी है तथा साथ ही साथ वो एक उपभोक्ता भी है, वह एक कार्य तो करने की क्षमता भी रखता हैं तो फिर ये कार्य मुश्किल तो बिल्कुल नही हो सकता हैं। आप सभी ने भारत के पवित्र संविधान में एक वाक्य जरूर पढ़ा होगा जो है , “हम भारत के लोग ” इसका अर्थ है कि हम भारत के लोग, भारत के लोगों द्वारा भारत के लोगों के लिए कार्य करेंगे। यही वो सूत्र वाक्य है जिसे चरितार्थ करने की आवश्यकता हैं। जब हमारी जनसंख्या इतनी बड़ी है तो सभी को खाने के लिए भोजन, सभी को पहनने के लिए कपड़े , सभी को पहनने के लिए जूते चप्पल, सभी के लिए चलने के साधन, शिक्षण संस्थान, उद्योग, खेती , पानी , धरती, सभी प्रकार की वस्तुओं की जरूरत तो है ना, फिर हम सभी को रोजगार क्यों नही दे सकते हैं। इस बड़े कार्य के लिए सबसे पहले हमे कुछ महत्वपूर्ण कार्य करने की जरूरत है, और संसाधनों के बंटवारे में न्याय करने की जरूरत है, जैसे ;

  1. भारत में एक रोजगार मंत्रालय बने , जो केवल, देश में रोजगार सृजन पर कार्य करें।
  2. भारत में रोजगार सृजन तथा रोजगार की तलाश के लिए एक नही अनेक शोध संस्थान बनें।
  3. भारत के हर जिले में एक हजार तरह की कलाओं या स्किल्स की ट्रेनिंग के लिए संस्थान बनें अथवा जो कार्य पहले से बहुत से लोगों द्वारा किए जा रहे है उन्ही को वर्कशॉप मानकर उनके साथ उस कार्य से संबंधित युवाओं को जुड़ा जाएं।
  4. भारत की जनसंख्या के अनुसार हर विभाग में सरकारी पदों को बढ़ाया जाएं।
  5. शिक्षा , स्वास्थ्य , सुरक्षा में सरकारी पदों की संख्या विद्यार्थियों के अनुसार, स्वास्थ्य में बीमार लोगों की संख्या के अनुसार तथा सुरक्षा भी भारतीय जनसंख्या के अनुसार रोजगार की संख्या को तय किया जाना चाहिए।
  6. हमे हर क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा रोजगार खोजने के लिए हर प्रदेश में रोजगार आयोग बनाने की भी आवश्यकता हैं।
  7. बड़े बड़े उद्योगों के लिए उनके टर्न ओवर के अनुसार रोजगार देने पड़ेंगे, ऐसा नहीं होना चाहिए कि किसी के पास देश के हर फील्ड में कार्य करने के अवसर तो होते है परंतु रोजगार देने में वो सबसे पीछे है, और बड़ी बड़ी कंपनियों के मालिक जो अपने लोन को एन पी ए में करवाते रहते है, उनसे ज्यादा रोजगार की अपेक्षा की जाती हैं।
  8. जो लोग अपनी आमदनी को केवल अचल एसेट्स खरीदने में खर्च करते हैं उसकी सीमा तय करनी होगी ताकि वो पैसा किसी उद्योग, किसी संस्थान, किसी व्यवसायिक गतिविधि में लगे जिससे रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा हो सकें।
  9. देश के सभी बड़े संस्थानों जैसे आई आई टी तथा आई आई एम और एम्स में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को अपने व्यवसायिक संस्थान या उद्योग के लिए आगे लाना होगा या बड़े हॉस्पिटल बनाने होंगे जिससे ज्यादा रोजगार के अवसर मिलें।
  10. देश के हर विश्वविद्यालय को तथा सभी राष्ट्रीय संस्थानों में से हर वर्ष कम से कम 100 से अधिक युवा व्यवसायिक गतिविधि के लिए तैयार करने होंगे । ये सभी विश्विद्यालयों तथा राष्ट्रीय अथवा आल इंडिया स्तर के संस्थानों की जिम्मेदारी होनी चाहिए , उसी के आधार पर उनकी ग्रेडिंग होनी चाहिएं।
  11. हर व्यवसाई को या उद्योगपति को अपनी आमदनी के हर एक लाख पर तीस तीस हजार के तीन रोजगार देने होंगे और दस प्रतिशत उसका लाभ होगा।
  12. किसी को भी करोड़ों का पैकेज देने की बजाय हर कंपनी के लिए मिनिमम तथा मैक्सिमम सैलरी की सीमा तय करनी होगी, तभी हम ज्यादा रोजगार दे पाएंगे।
  13. अगर हमे रोजगार की विंडो की अवधारणा को वास्तविक रूप देना हैं तो देश में हर व्यक्ति के लिए अधिकतम तीन लाख और कम से कम तीस हजार सैलरी के रूप में तय करना पड़ेगा, तभी देश विकसित देश बनेगा। ये सैलरी देश के सभी नागरिकों के लिए होगी , चाहे वो कितने भी बड़े उद्योगपति हो। किसी को भी अनाप शनाप पैसे उड़ाने का अधिकार नही हैं। हर व्यक्ति को सारे अवसर राष्ट्र के कारण ही मिलते हैं।
  14. हर उद्योग अथवा संस्थान द्वारा लिया गया लोन का एक एक पैसा चुकाने के लिए अलग से फंड बने ताकि बैंक का कोई पैसा न मरे, क्योंकि बैंक भी एक रोजगार देने वाली बड़ी संस्था हैं।
  15. देश के हर उद्योग, हर व्यवसायिक संस्थान, तथा हर शिक्षण संस्थान के लिए रोजगार सृजन के लिए कार्य करना चाहिए।
  16. देश में जितने भी हॉस्पिटल है उनकी आय के अनुसार रोजगार दिए जाने चाहिए और उनको मिनिमम सेलरी दी जा रही है या नहीं, इसका ध्यान रखना होगा।
  17. देश में जितने भी निजी स्कूल , कॉलेज या विश्वविद्यालय है उनमें तय स्टैंडर्ड के अनुसार टीचर की संख्या है या नही है, और उनको मिनिमम सेलरी मिलती है या नही , इसका भी ध्यान रखने के लिए अथॉरिटी बने ।
  18. सभी सरकारी संस्थानों में रिक्त पड़े पदों को भरने की प्लान तैयार करनी होगी। अगर कोई ये कहते है कि इनकी सैलरी कैसे दी जाएगी, तो ये समझने की कौशिश करें कि अब से 20 वर्ष पहले तक हर सरकारी संस्थान में आज से कम से कम दो से तीन गुणा कर्मचारी अधिकारी होते थे तो उनकी सेलरी कैसे दी जाती थी, जब कि पहले तो जी एस टी भी नही था और रेवेन्यू का कलेक्शन भी बहुत ही कम था, टोल बैरियर भी नही थे, तब भी सभी को पेंशन भी दी जाती थी और ज्यादा एम्प्लॉय भी थे।
  19. देश में जितने भी टोल टैक्स सेंटर बने हुए है , उनमें एक तिहाई कर्मचारी भी नही रखे जाते है जबकि एक टोल से दिन में करोड़ों रुपए कलेक्ट किए जाते हैं। इसके लिए हर टोल के कर्मचारियों की संख्या तथा उनको मिलने वाली सैलरी का भी ध्यान किया जाना चाहिए।
  20. मल्टी टास्किंग पर प्रतिबंध लगना चाहिए क्योंकि इससे कार्य में गुणवत्ता नही आती है। इससे हर जगह रोजगार की संख्या बढ़ेगी। अगर किसी व्यक्ति की विशेषता टीचिंग में है या शोध में है या डिफेंस में है या फिर बिजनेस में है तो उसके लिए दूसरे कार्यों के लिए अलग से कर्मचारी मिलेंगे तो दो लाभ होंगे , एक तो ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेंगे , दूसरा विशेषज्ञ अपना कार्य निपुणता से कर पाएंगे और उनके उपर बढ़ रहे स्ट्रेस को भी दूर किया जा सकता हैं।
  21. कुछ योजना हमे ऐसी भी बनानी पड़ेगी , जिससे हम गावों में बैठी महिलाओं को , उनके घर में ही कोई कार्य दिए जा सके अथवा शहरों में बैठी बहन बेटियों को भी ऐसे काम दिए जाए, जिन्हे वो अपने घर से ही कर सके। इससे उन्हे अपने घर बैठे बैठे ही रोजगार मिलेगा तथा कहीं बाहर भी नही जाना पड़ेगा। और भारत की जी डी पी बढ़ेगी।
    अब समय आ गया है कि हमे अपने हर नागरिक को उपभोक्ता के साथ साथ काम करने वाला भी बनाना होगा। हमे अपने देश को विकसित बनाने के लिए दस बीस उद्योगपति नही , लाखो उद्योगपति की जरूरत है। हमे दस बीस खरबपति नही, हमे करोड़ो अरबपति या करोड़ों , करोड़ पति चाहिए जो ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध करा सकें। इस तरह से हम अपने देश में एक ऐसी रोजगार विंडो बना पाएंगे , जहां से हर नागरिक अपनी योग्यता के अनुसार जब चाहे तब रोजगार प्राप्त कर सकेंगे और अपने भारत देश की जी डी पी बढ़ाने में योगदान देंगे । तथा देश को विकसित बनाने में अपना योगदान दे पाएंगे। आओ सभी ईमानदारी से इसे व्यवहार में लाने में अपना अनूठा योगदान करें।
    जय हिंद, वंदे मातरम
    लेखक
    नरेंद्र यादव
    नेशनल वाटर अवॉर्डी
    यूथ डेवलपमेंट मेंटर
familyadmin

familyadmin

About Author

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may also like

Information

Good Thoughts : अच्छे विचार

अधिकांश लोग अपने लक्ष्यों को त्याग देते हैं और उन्हें धोखा देते हैं जब उन्हें एहसास होता है कि वे
election vote
Information

मतदान :- कुल मतदान में से पचास प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त करने वाले कैंडिडेट को ही विजय घोषित किया जाना चाहिए, तभी समाज तथा राष्ट्र सशक्त होगा।

Vote मतदान चुनाव विषय बहुत गंभीर हैं जिसे चर्चा में लेना उतना ही महत्वपूर्ण है जितना एक इंसान को पेट