आज की कहानी
एक कागज की टुकड़ा की हाल?
एक बार कागज का एक टुकड़ा हवा के वेग से उड़ा और पर्वत के शिखर पर जा पहुँचा, पर्वत ने उसका आत्मीय स्वागत किया और कहा कि भाई! यहाँ कैसे पधारे….!!
कागज ने कहा कि अपने दम पर, जैसे ही कागज ने अकड़कर कहा अपने दम पर और तभी हवा का एक दूसरा झोंका आया और कागज को उड़ा ले गया, अगले ही पल वह कागज नाली में गिरकर सड गया।
जो दशा एक कागज की है वही दशा हम सब की है, पुण्य की अनुकूल वायु का वेग आता है तो हमें शिखर पर पहुँचा देता है और पाप का झोंका आता है तो रसातल पर पहुँचा देता है।
आज का दिन मंगलमय हो।
जो प्राप्त हे वही पर्याप्त है।
ओम शांति